झारखण्ड की राजधानी रांची में प्रमाण पत्र को लेकर चाहे किसी भी अख़बार में आजाये, या फिर शिकायते मुख्या मंत्री जनसंवाद में ही क्यों न पहुंच जाए लेकिन इसकी स्तिथि नहीं सुधारने की ठान ली गई हैं, और नाही इसे अधिकारी गंभीरता से लेंगे।
हम बात कर रहे हैं झारखण्ड में बनने वाले स्थान निवास प्रमाण पत्र और जाती प्रमाण पत्र की। ये पहली बार नहीं हैं की सर्टिफिकेट लेट से बनना या गलत तरीके से बनाने पर शिकायते की गई है. दरअसल रांची के हेहल अंचल समन्धित एक मामला प्रकाश में आया है, जिसके बारे में कुछ प्रज्ञा केंद्र संचालको का कहना हैं की वहा के कर्मचारी और सर्कल इंस्पेक्टर और सर्कल ऑफिसर्स सर्टिफिकेट बिना की वजह के रिजेक्ट कर दे रहे हैं, बिना किसी वजह का मतलब की प्रमाण पत्र बनाने के लिए जितने डाक्यूमेंट्स की जरुरत होती हैं वो सब होने के बाद भी सर्टिफिकेट रिजेक्ट कर दिया जा रहा है। एक आवेदन में खतियान होने के बावजूद बार बार यह बता कर रिजेक्ट किया गया की खतियान नहीं लगा हैं, और जब इस बात को लेकर आवेदक हेहल पहुंचते हैं तो उन्हें बड़ी आसानी से यह बोल कर वापस भेज देते हैं की गलती से हो गया होगा फिर से एंट्री करवा लो !
अभी छात्रवृति के लिए आवेदन सुरु हैं जो इस साल के 24 सितम्बर तक हैं और अगर इस समय अधिकारी अजीबो गरीब गलतियां करेंगे तो इसका खामियाजा गरीब स्टूडेंट्स को भरना पड़सकता हैं.
मिली जानकारी के अनुसार वहां के स्थानीय आवेदकों का कहना हैं की ये सब वहा के कुछ प्रज्ञा केंद्र के ऑपरेटर और अधिकारी के एक महिला ऑपरेटर की मिली भगत है, उनके अनुसार प्रज्ञा केंद्र में इंट्री करवाते हैं जिसके लिए 30 रुपए लिए जाते हैं और अगर सर्टिफिकेट रिजेक्ट हो गया तो फिर से इंट्री और फिर से 30 रूपये देने होंगे।
आखिर बिना वजह इतने प्रमाण पत्र रिजेक्ट क्यों किये गए ? ये एक बड़ा मुद्दा हैं क्युकी आम तौर पर उन्ही के सर्टिफिकेट रिजेक्ट होते हैं जिनमे कुछ कमी हो या उसमे पेपर नकली लगाया गया हो। अब ये बात तो नहीं हो सकती की 100 में से 80 नकली प्रमाण पत्र बनाए जा रहे हैं।
कार्मिक, प्रशासनिक सुधार तथा राजभाषा विभाग द्वारा निर्णयो के आधार पर झारखण्ड में स्थायनिता को निर्गत किया जाता हैं जो की झारखण्ड में झारखण्ड सरकार के नौकरी पाने के लिए होता हैं अब ऐसे प्रमाण पत्र में इतनी बड़ी लापरवाही एक बड़ा सवाल उठता हैं।
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